CAA latest news : इस महीने लागू हो जाएगा CAA, ये है इस एक्ट का प्रावधान !

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CAA latest news: कुछ सालों CAA का मुद्दा बड़े जोर शोर से उठा है । ये भारतीय जनता पार्टी का हार्डकोर स्टैंड माना जा रहा है । ये बिल २०१९ में आया था इसके आने में बाद मुस्लिम समुदाय ने इसका भारी विरोध किया था। जिसका कारण इस एक्ट के बारे में फैलाई गई गलत जानकारी थी ।

CAA Latest news : मुस्लिम समुदाय के लोगों को के बीच ये अफवाह फैला दी गई थी कि इस एक्ट के बाद आपसे भारत की नागरिकता छीन ली जाएगी। जबकि इस एक्ट में नागरिकता छिनने नहीं बल्कि हमारे तीन पड़ोसी देशों में धार्मिक प्रताड़ना का शिकार हो कर आए हिंदुओं , जैन,सिख, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के शरणार्थियों को प्राथमिकता के आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान है ।

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काफी विरोध के बाद इस एक्ट ओर केंद्र सरकार ने चुप्पी साध ली थी लेकिन अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन एक्ट-सीएए लागू करने के बारे में स्पष्ट कहा है कि आम चुनाव से पहले इस एक्ट के अमल की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। शाह ने कहा,

‘मैं स्पष्ट बताना चाहता हूं कि सीएए की अधिसूचना चुनाव से पहले आ जाएगी। इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। सीएए किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है।’

गृह मंत्री के बयान से साफ है कि कि सीएए किसी भी वर्ग धर्म, या राष्ट्र के लोगों को भारत की नागरिकता लेने से वंचित नहीं करता है। यह तीन पड़ोसी देशों में धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर आए हिंदुओ, जैन, सिख, बौध, ईसाई और पारसी समुदाय के शरणार्थियों को प्राथमिकता के आधार पर नागरिकता देने के बारे में है।इसे मार्च महीने में लागू करने की तैयारी चल रही है ।

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भारत अपने बहुसंख्यकों को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकार करने और उनके हितों के आधार पर कानून बनाने वाला पहला देश नहीं है। इस तरह के कानून कई देशों में जनसंख्या संतुलन के सिद्धांत के आधार पर सांस्कृतिक पहचान को कायम रखने की कोशिश के तहत बने हैं। अमेरिका ने 1882 में चाइनीज एक्सक्लूजन एक्ट पारित किया था।

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इसके तहत चीन से आने वाले लोगों को नागरिकता देने में नियमन के लिए अलग नियम बनाए गए थे। इसका कारण चीन से आए लोगों का धर्म, सांस्कृतिक पहचान और खानपान देसी अमेरिकियों से अलग होना था। हालांकि, 1943 में यह एक्ट वापस ले लिया गया था। वहीं, जर्मनी के न्यूरेमबर्ग शहर में नागरिकता हासिल करने के लिए सिर्फ मुसलमानों के लिए परीक्षा का प्रावधान किया गया था।

CAA Latest news : जनसांख्यिक जरूरतों के अनुसार तय होते हैं नियम

हर देश नागरिकता की शर्ते अपनी सांस्कृतिक और जनसांख्यिक जरूरतों के हिसाब से तय करता रहा है। नागरिकता के अपने नियम तय करना देश की संप्रभुता का अधिकार है। धार्मिक आधार पर 1947 में भारत विभाजन और जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के दौर में कश्मीरी पंडितों के विस्थापन की पीड़ा से गुजरे अनुभवों को ध्यान में रखते हुए सीसीए के प्रावधानों को समझना होगा।