harda blast case : हरदा की पटाखा factory में हुए धमाके की गूंज पूरे देश में सुनाई दी । इस हादसे में 12 ज़िंदगियाँ काल के गाल में समाँ गई वहीं तकरीबन 200 लोग अभी भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं । इस हादसे के बाद 3 लोगों को गिरफ्तार भी किया हुआ है। वहीं जिस अवैध पटाखा फैक्ट्री में ये हादसा हुआ उसके मालिक राजेश अग्रवाल के बारे में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं ।
harda blast case : राजेश अग्रवाल काफ़ी समय से बारूद के इस धंधे में लिप्त था । वह आसपास के लोगों को बारूद देकर पटाखे बनवाने का काम करता था। साल 2015 में एक खेत में 3000 रुपए महीना किराये पर उसने एक गोदाम लिया था । और उसी गोदाम में उसने पटाखे बनाने का काम शुरू किया। लेकिन उसमें भी एक हादसा हुआ तब उस हादसे में दो लोगों की जान चली गई थी। इसी मामले में 2021 में अग्रवाल को कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई , पर हाई कोर्ट से उसे जमानत मिल गई और वह छूट गया। जिसके बाद वह दोबारा फैक्ट्री चलाने लगा।
लेकिन इसकी अवैध फैक्ट्री की जब शिकायत हुई तो इसमें जाँच बैठाई गई, और तत्कालीन हरदा एसडीएम श्रुति अग्रवाल ने जब फैक्ट्री की जाँच की तो कारख़ाने को सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं पाया । श्रुति अग्रवाल ने बताया सुरक्षा मानकों का पालन नहीं पाने पर मैंने जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंपा था। जिसके बाद कलेक्टर ऋषि गर्ग ने फैक्ट्री को सील करने के आदेश दिए थे।
हरदा के एसडीएम केसी परते ने बताया कि तत्कालीन संभागायुक्त माल सिंह ने इस मामले की अगली सुनवाई तक के लिए राजेश को स्टे दिया था, लेकिन उसने फैक्ट्री फिर खोल ली। आपको जानकर हैरानी होगी कि अग्रवाल बंधुओं के नाम पर हरदा में छह विस्फोटक लाइसेंस की जानकारी मिली है। इनमें से एक रद्द हुआ है। लेकिन पांच अभी भी जिंदा हैं ।
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जाँच में सामने आई थी ये 11 बड़ी खामियाँ
रिहायशी इलाक़े में चल रही इस फैक्ट्री में गड़बड़ी की ढेरों शिकायतें मिली थी , जिनकी 2022 में जाँच की गई । तत्कालीन हरदा एसडीएम श्रुति अग्रवाल ने जब फैक्ट्री की जाँच की तो उसमें 11 बड़ी खामियाँ सामने आई थी । लेकिन तब कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया और फैक्ट्री चलती रही । और उन 11 खामियों का खामियाजा 12 लोगों को अपनी जान दे कर भुगतना पड़ा वहीं 200 लोग जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं । जो 11 खामियाँ जाँच में आई थी उनमें ये 5 खामियाँ बहुत अहम थी जिन पर तत्काल ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए थी ।
- पटाखा निर्माण परिसर के स्वीकृत नक्शे / ड्राइंग की जानकारी से जुड़े दस्तावेज अनिवार्य रूप से मौके पर होने चाहिए थे।
जांच में क्या मिला: टीम ने पाया कि परिसर के स्वीकृत नक्शे और ड्राइंग नहीं थी।
- शर्तों के अनुसार आतिशबाजी बारूद का विनिर्माण एक मंजिल भवन के भीतर किया जाना चाहिए और भवन के सभी दरवाजे बाहर की ओर खुलने चाहिए थे।
जांच में क्या मिला : दो मंजिला भवन निर्मित था। बिल्डिंग में प्रथम तल पर पटाखा निर्माण पाया गया। उसी भवन में पटाखे और उसका सामान रखा पाया गया
- शर्त ये है कि विस्फोटक ऐसे एक मंजिला हल्के सन्निर्मित कमरे में बनाए जाएंगे जो केवल ऐसे विनिर्माण के प्रयोजन के लिए रखे गए हैं और जो भंडारण स्थान से 45 मीटर की दूर पर हो।
जांच में क्या मिला: पटाखा निर्माण परिसर में मैन्युफैक्चरिंग संबंधित व्यवस्थाएं कमरे की व्यवस्था और स्टोरेज एक ही बिल्डिंग में होना पाया गया।
- एक समय में संपूर्ण कारखाने में विस्फोटकों की अधिकतम मात्रा एलई-1 में उल्लेखित से अधिक नहीं होगी।
जांच में क्या मिला: मौके पर करीब 7 लाख 35000 नग सुतली बम, अन्य प्रकार के पटाखें पाए गए। जो कि तय 15 किलोग्राम मात्रा से कई गुना अधिक मात्रा में मैन्युफैक्चरिंग कर तैयार की जा रही थी।
- अधिक 15 सेमी से गहरी सीमेंट की ट्रोजिमा / ट्रफ को या भंडारघर के प्रत्येक प्रवेश में लगाया जाएगा। ऐसे ट्रोजिमा में स्वच्छ जल भरा जाएगा। कोई व्यक्ति ऐसी ट्रोजिमा में बगैर पैर डुबोए प्रवेश नहीं करेगा।
जांच में क्या मिला: इस तरह के किन्हीं भी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था