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Rewa Shaheed Umesh shukla : डिप्टी सीएम के जिले में 18 साल से न्याय के लिए भटक रहे शहीद के परिजन।पत्नी ने माँगी इच्छामृत्यु।

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Rewa Shaheed umesh shukla: हमारे देश के नेताओं को अक्सर आपने राजनैतिक सभाओं या टीवी , इंटरनेट आदि में देशभक्ति के लंबे-चौड़े भाषण देते हुए जरुर देखा या सुना होगा ।

वो अपने भाषणों में हमारे देश के सैनिकों और भारतीय सेना के वीर जवानों के सम्मान में जमकर कसींदे पढ़ते हैं । जब कोई जवान शहीद होता है तो राजनैतिक पार्टियाँ और उनके नेता कैमरे के सामने शहीद के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं । शहीद के परिवार के सबसे बड़े हितैषी बनने के लिए कैमरे पर अंधाधुंध घोषणाएँ करते हैं ।

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Rewa shaheed Umesh shukla : कई बार तो हमारे वीर जवानों की शहादत के नाम पर वोट तक माँगे जाते हैं । लेकिन इन वादों और घोषणाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है । नेता तो बड़ी-बड़ी घोषणाएँ कर के चले जाते हैं लेकिन अपने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवान के परिजनों को उन वादों को पूरा कराने के लिए कई-कई सालों तक दौड़ना पड़ता हैं । इन्हें अधिकारियों और नेताओं के घर और ऑफिस के दरवाजों के चक्कर लगाने पड़ते हैं । बावजूद इसके,उनके हाँथ लगती है तो सिर्फ़ निराशा। उनकी आधी ज़िन्दगी नेताओं और अधिकारियों को आवेदन पत्र और ज्ञापन लिखने में ही बीत जाती है ।

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ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के रीवा जिले से सामने आया है । जहाँ एक शहीद का परिवार बीते 18 सालों से अपने हक के लिये दर-दर की ठोकरें खा रहा है । रीवा जिले की सिरमौर विधानसभा अंतर्गत क्योंटी गाँव के वीर सपूत स्व. श्री उमेश शुक्ला फरवरी 2006 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। लेकिन अपने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले शहीद के परिजनों को न तो सम्मान राशि मिली और ना ही उनके परिवार में से किसी को अनुकंपा नियुक्ति दी गई ।

शहीद उमेश शुक्ला अपने बटालियन के साथियों के साथ

 

शहीद के परिजनों ने बताया कि उन्होंने 2006 से अब तक देश के तत्कालीन और वर्तमान राष्ट्रपति , मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, और वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ,तत्कालीन गृहमंत्री से लेकर वर्तमान गृहमंत्री , विभिन्न अधिकारियों को 2 हज़ार से अधिक आवेदन दे चुके हैं । लेकिन अब तक इसमें कोई सुनवाई नहीं हुई है । अब वो सरकार से इंसाफ़ और हक़ की लड़ाई लड़-लड़ के थक चुके हैं । आपको बता दें कि रीवा जिला मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल का विधानसभा क्षेत्र है ।

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जहाँ से वो पिछले 2 दशकों से भी अधिक समय से भाजपा विधायक हैं। वहीं शहीद उमेश शुक्ल का गाँव जिस सिरमौर विधानसभा में आता वहाँ से भी वर्तमान विधायक भारतीय जनता पार्टी के दिव्यराज सिंह हैं जो लगातार तीन बार से सिरमौर के विधायक हैं । लेकिन विडंबना देखिए कि शहीद उमेश शुक्ला की  विधानसभा क्षेत्र में विधायक भी भाजपा के सांसद (जनार्दन मिश्रा) भी भाजपा के रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल वर्तमान में मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री हैं, प्रदेश में भाजपा की सरकार और केंद्र में भी भाजपा की सरकार है फिर भी शहीद के परिजन बीते 18 सालों से न्याय के लिए भटक रहा है ।

ये है पूरा मामला

रीवा जिले के सिरमौर विधानसभा अंतर्गत आने वाले क्योंटी गाँव के उमेश शुक्ल फरवरी 2006 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में शहीद हो गए थे । लेकिन शहादत के 18 वर्ष बाद भी अभी तक ना उनके परिवार में से किसी को भी अनुकंपा नियुक्ति मिली है और ना ही शहादत के इतने सालों के बाद तक कोई सम्मान राशि मिली है ।

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शहीद उमेश शुक्ला के परिजनों ने बताया कि वो 2006 से अब तक देश के राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री व कई आला अधिकारियों को 2000 से अधिक बार आवेदन पत्र दे चुके हैं । लेकिन अब तक उनके मामले की कोई सुनवाई नहीं हुई है ।

तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर लगाए आरोप

शहीद के परिजनों ने मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ऊपर गंभीर आरोप लगाए हैं । शहीद के मामा रामउजागर पांडेय ने बताया कि उन्होंने कई बार पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा उनकी सभाओं में जा कर उन्हें ज्ञापन सौंपे । लेकिन उन्होंने उसे फाड़ दिया और कोई सुनवाई नहीं हुई ।

शहीद की पत्नी ने की इच्छामृत्यु की माँग

शहीद उमेश शुक्ला की पत्नी सरोज शुक्ला ने अब सिस्टम से थक कर प्रधानमंत्री से इच्छामृत्यु की माँग की है । उन्होंने कहा कि बीते 18 सालों से हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन अब तक इसका कोई परिणाम नहीं निकला । अब मैं हिम्मत हार चुकी हूँ इसलिए मैंने प्रधानमंत्री से सपरिवार इच्छामृत्यु की माँग की है ।

शहीद उमेश शुक्ला की पत्नी और बेटी
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